आज प्रातकाल अमर उजाला के मुरादाबाद संस्करण में कूड़ा गाड़ी के हाइड्रोलिक से दबकर सफाई कर्मी की दर्दनाक मौत तथा हादसे के बाद हुए बवाल के बारे में जानकर बहुत दुःख हुआ. सफाई कर्मी की असामयिक दर्दनाक मौत का कारन तो हादसे के कारन हुई. हादसा कभी भी किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है. लेकिन हादसे के बाद जिस तरह से निजी कंपनी ए टू जेड को निशाना बनाते हुए ४ वाहनों को फूंक डाला और सौ से अधिक ठेलों को आग के हवाले कर दिया उससे भी ज्यादा दुखद है. सफाई कार्मिक के परिजनों अथवा शुभचिंतकों को चाहिए था की वे ए टू जेड कंपनी के प्राधिकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से मुवाजे और हादसे के लिए दोषी को उचित दंड दिलाने की मांग करते. लेकिन उन्होंने ऐसा न करके कानून हाथ में लिया और ४ वाहनों तथा १०० से अधिक ठेलों को आग लगा दी. मृतक के परिजनों को तो सम्बंधित कंपनी ने मुवाज़ा देने का अस्वाशन दे दिया. और हो सकता है की जिन गाड़ियों को आग के हवाले किया गया वे ए टू जेड कंपनी की हों. लेकिन अब सवाल ये है की अगर वे गाड़ियाँ उक्त कंपनी की नहीं थी, और जलाये गए ठेले तो गरीब व्यक्तियों के होंगे ही, तो उनका मुआवजा कौन देगा?
दूसरा सवाल ये है की सालिडवेस्ट मैनेजमेंट और सफाई व्यवस्था का एक हिस्सा संभाल रही निजी कंपनी एटूजेड को वापस जाने की मांग मृतक के परिजनों के साथ साथ नगर विधायक संदीप अग्रवाल के द्वारा की जा रही थी, तो क्या शहर की साफ सफाई मृतक के परिजन और नगर विधायक करते ?