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Sunday, December 22, 2019

सरकार और प्रदर्शन

सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड भी CAB के साथ पास कर देती तो एक बार के धरने प्रदर्शन में मामला सेटल हो जाता, पर सरकार की नीयत ठीक नहीं है, 

सरकार UCC बाद में लाएगी ताकि प्रदर्शन कारियों को दोबारा ठोका जा सके, उसके बाद सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर बिल लाएगी ताकि प्रदर्शन कारियों को तीसरी बार ठोका जा सके।

सरकार ऐसे ही एक एक कर बिल लाती रहेगी और प्रदर्शन कारियों को ठुकवाती रहेगी। मतलब सपष्ट है कि सरकार प्रदर्शन कारियों को हमेशा पुलिस से ठुकवाना चाहती है। 

यदि सरकार की नीयत ठीक होती तो सारे बिल एक दिन में पास कराकर केवल एक बार की ठुकाई  में काम चल जाता। अलग अलग बिल पास कराकर सरकार चाहती है कि प्रदर्शन कारी हमेशा ठुकाई उसके बाद सिकाई कराते रहे।

प्रदर्शन करने वाले तो बेचारे गरीब देशभक्त हैं, बसों ओर सरकारी संपत्ति को जलाकर ठंड से अपना बचाव कर रहे हैं।

प्रदर्शन करने पर घायल होने या मृत्यु होने पर वोट बैंक के लालच में राजनीतिक लोगों द्वारा पीड़ित प्रदर्शन कारी को मोटा पैसा भी मिलता है ओर सरकारी नोकरी भी मिल जाती है जैसा अभी दिल्ली में हुआ।

प्रदर्शन करना एक अच्छा व्यवसाय बन सकता है लेकिन सरकार इस व्यवसाय को प्रोत्साहित ही नहीं कर रही है।

हिंसक प्रदर्शन के कारण ही समाचार TV चैनल चल पा रहे हैं, वरना पब्लिक तो कबका समाचार TV चैनल देखना छोड़ चुकी है।

हिंसक प्रदर्शन के कारण, पुलिस, डॉक्टर, वकील, जज और राजनेताओं की रोजी रोटी चल रही है।

सरकार को चाहिए कि हिंसक प्रदर्शन कारियों को प्रदर्शन के स्थान पर पर्याप्त मात्रा में ईंट, पत्थर और पेट्रोल बगैरा उपलब्ध कराए। सरकार को 30 वर्ष तक के हिंशक प्रदर्शन करी स्त्री पुरुषों को नाबालिग की श्रेणी में रखने हेतु भी एक बिल पास करे।

रNDTV चैनल को प्रदर्शन कारियों का ऑफिसियल चैनल घोषित किया जाए।