तुम्हारी फाईलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँखे जूठी हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पिटे जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बरबरियत है, नवाबी है
लगी है होड़ सी देखो अमीरी और गरीबी में
ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है
ग़ज़ल
जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में
गाँव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में
बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई
राम्सुधि की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में
खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में
जिसकी कीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहोल में
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में
ग़ज़ल - २
जुल्फ अंगड़ाई तबस्सुम चाँद आइना गुलाब
भुखमरी के मोर्चे पर इनका शबाब
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की किताब
इस सदी की तिशनगी का जखम होठों पर लिए
बे यकीनी के सफ़र में जिंदगी है एक अज़ाब
डाल पर मजहब की पहम खिल रहे दंगो के फूल
सभ्यता रजनीश के हम्माम में हैं बेनकाब
चार दिन फूटपाथ के साए में रहकर देखिये
डूबना आसान है आँखों के सागर में जनाब
काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
मगर ये आँखे जूठी हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पिटे जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बरबरियत है, नवाबी है
लगी है होड़ सी देखो अमीरी और गरीबी में
ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है
ग़ज़ल
जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में
गाँव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में
बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई
राम्सुधि की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में
खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में
जिसकी कीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहोल में
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में
ग़ज़ल - २
जुल्फ अंगड़ाई तबस्सुम चाँद आइना गुलाब
भुखमरी के मोर्चे पर इनका शबाब
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की किताब
इस सदी की तिशनगी का जखम होठों पर लिए
बे यकीनी के सफ़र में जिंदगी है एक अज़ाब
डाल पर मजहब की पहम खिल रहे दंगो के फूल
सभ्यता रजनीश के हम्माम में हैं बेनकाब
चार दिन फूटपाथ के साए में रहकर देखिये
डूबना आसान है आँखों के सागर में जनाब
काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है
भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है
बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है
सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है
भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है
बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है
सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है
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