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Friday, June 17, 2011

ABHIMANI GULAB

अनु के घर के सामने एक बगीचा था.माली एक गुलाब का गमला लाया और गेंदे के गमले के पास रख दिया.पहले तो वो दोनों चुप रहे,लेकिन बाद में गुलाब से न रहा गया. गुलाब ने गेंदे से कहा भाई  केसे हो ? गेंदे ने कहा मैं अच्छा हूँ ? तुम अपने बारे में बताओ. गुलाब  ने  कहा मैं बहुत ही सुंदर हूँ . सब लोग मुझे बहुत पसंद करते  हैं . चाचा नेहरु भी मुझे बहुत पसंद करते थे . वे हमेशा मुझे अपने साथ रखते थे. गेंदे ने कहा तुम अपने परिवार के सदस्य के बारे में भी तो बताओ.गुलाब ने कहा ये हैं तना मैं इसके ऊपर रहता हूँ अगर ये टूट जाएँ तो मैं कहीं का नहीं  रहूँगा. ये हैं  जड़े ये मिटटी से ढकी रहती हैं. ये हर समय सोती रहतीं हैं मिटटी चादर ओढ़कर.
वैसे ये कुछ खास नहीं. गेंदे ने कहा की बूढों का आशीर्वाद ही काफी होता हैं.ये हैं पत्तियां .ये टूट कर गिर जातें
हैं वैसे भी जब ये हरी होतीं हैं तो भी इन्हें कोई पसंद नहीं करता हैं.(गुलाब ने घमंड से कहा ) इस पर गेंदे  ने कहा कि मुझे तो इनका कटाव बहुत अच्छा लगता हैं. गुलाब ने कहा खेर छोड़ो इन्हें अब मैं तुम्हे
अपने अगले सदस्य से मिलवाता हूँ. ये हैं काटें. इन्हें तो कोई भी पसंद नहीं करता हैं. ये न किसी से
दोस्ती करते हैं और न इनसे कोई दोस्ती करना चाहता हैं. (गुलाब ने पूरे घमंड से कहा)
तभी एक बालक को अपनी ओर आते देखा तो गुलाब ने कांटे से कहा कि कांटे भाई मुझे बचा लो
तब कांटे ने कहा पता चल गई अपनी औकात. गुलाब ने बहुत निवेदन किया. बालक गुलाब को तोड़ने जा ही रहा था कि कांटे उसके अंगुली में चुभ गया.बालक वहाँ से चला गया. बाद में गुलाब ने जड़ तना पत्ती व काटें से माफ़ी मांगी.गेंदे के सामने उसका सर शर्म से झुक गया.
 

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