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Sunday, June 26, 2011

MAHARAJA RANJEET SINGH

एक बार की बात है महाराजा रणजीत सिंह अपना वेश बदलकर सारे राज्य में घूम कर यह देखने जा रहे थे , की मेरे राज्य में कोई दुखी तो नहीं है . महाराजा रणजीत सिंह के एक आँख नहीं थी, परन्तु किसी को यह भी नहीं मालूम था की, राजा की कौन सी आँख नहीं है. कोई भी व्यक्ति उनके सामने सिरउठाकर भी नहीं देखता था
जब राजा आगे बढे चले जा रहे थे ,तो कहीं से एक पत्थर आकर उनके सिर पर लग गया, सिर से खून बहने लगा. राजा ने आदेश दिया की जिसने मेरे पत्थर मारा है उसे पकड़कर मेरे सामने लाओ .
सैनिक एक महिला को पकड़ कर लाये , जो तीन दिनों से भूखी थी तथा बेर के पेड़ से बेर तोड़कर खा रही थी. पत्थर उसे ने मारा था. राजा ने पूछा कि- क्या तुमने मेरे पत्थर मारा है ?
महिला ने राजा को सच सच बता दिया कि पत्थर उसी ने मारा है . उसने बताया कि- मैं तीन दिनों से भूखी हूँ . भूख को सहन न कर पाने के कारण मैंने एक पेड़ देखा , जिस पर बेर लगे थे . मैंने बेर तोड़ने के लिए जैसे ही पत्थर पेड़ पर फेंका पत्थर आपके लग गया. 
महाराजा को बहुत दुख हुआ , उन्होंने अपने सैनिकों से कहा कि इस महिला को खाना दो तथा इस महिला को महल में ले चलो. यह सुनकर सैनिकों ने राजा से पूछा कि आपने इस महिला को दंड क्यों नहीं दिया?
राजा ने कहा कि दंड इसे नहीं हम सबको मिलना चाहिए . हमारे राज्य में यह तीन दिन से भूखी है ,हमने कोई ध्यान ही नहीं दिया.  
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