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Sunday, April 7, 2019

अंधों की गणना

एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को राज्य के अंधों की सूची लाने का आदेश दिया. एक दिन में ये कार्य असंभव था. इसलिए बीरबल ने अकबर से एक सप्ताह का समय मांग लिया.

अगले दिन बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं हुआ. वह एक थैला लेकर नगर के हाट बाज़ार में गया और बीचों-बीच एक स्थान पर बैठ गया. फिर उसने अपने थैले से जूता निकला और उसे सिलने लगा.


आते-जाते लोगों ने जब बीरबल को जूता सिलते हुए देखा, तो हैरत में पड़ गए. बादशाह अकबर के सलाहकार और राज्य के सबसे बड़े विद्वान व्यक्ति के बीच बाज़ार बैठकर जूते सिलने की बात किसी के गले नहीं उतर रही थी.

कई लोगों से रहा नहीं गया और वे बीरबल से पूछ ही बैठे, “महाशय! ये आप क्या कर रहे हैं?”

इस सवाल का जवाब देने के बजाय बीरबल ने अपने थैले में से एक कागज निकाला और उसमें कुछ लिखने लगा. इसी तरह दिन गुरजते रहे और बीरबल का बीच बाज़ार बैठकर जूते सिलने का सिलसिला जारी रहा.

“ये आप क्या कर रहे हैं?” जब भी ये सवाल पूछा जाता, वह कागज पर कुछ लिखने लगता. धीरे-धीरे पूरे नगर में ये बात फ़ैल गई कि बीरबल पागल हो गया है.

एक दिन बादशाह अकबर का काफ़िला उसी बाज़ार से निकला. जूते सिलते हुए बीरबल पर जब अकबर की दृष्टि पड़ी, तो वे बीरबल के पास पहुँचे और सवाल किया, “बीरबल! ये क्या कर रहे हो?”


बीरबल अकबर के सवाल का जवाब देने के बजाय कागज पर कुछ लिखने लगा. ये देख अकबर नाराज़ हो गए और अपने सैनिकों से बोले, “बीरबल को पकड़ कर दरबार ले चलो.”

दरबार में सैनिकों ने बीरबल को अकबर के सामने पेश किया. अकबर बीरबल से बोले, “पूरे नगर में ये बात फ़ैली हुई है कि तुम पागल हो गए हो. आज तो हमने भी देख दिया. क्या हो गया है तुम्हें?”

जवाब में बीरबल ने एक सूची अकबर की ओर बढ़ा दी. अकबर हैरत से उस सूची को देखने लगे.

तब बीरबल बोला, “जहाँपनाह! आपके आदेश अनुसार राज्य के अंधों की सूची तैयार है. आज हफ्ते का आखिरी दिन है और मैंने अपना काम पूरा कर लिया है.”

सूची काफ़ी लंबी थी. अकबर सूची लेकर उसमें लिखे नाम पढ़ने लगे. पढ़ते-पढ़ते जब वे सूची के अंत में पहुँचे, तो वहाँ अपना नाम लिखा हुआ पाया. फिर क्या? वे बौखला गए.


“बीरबल! तुम्हारी ज़ुर्रत कैसे हुई हमारा नाम इस सूची में डालने की?” अकबर बीरबल पर बिफ़रने लगे.

“गुस्सा शांत करें हुज़ूर, मैं सब बता रहा हूँ.” कहकर बीरबल बताने लगा, “बादशाह सलामत!  पिछले एक सप्ताह से मैं रोज़ बीच बाज़ार जाकर जूते सिल रहा था. मेरे क्रिया-कलाप हर आते-जाते व्यक्ति को नज़र आ रहे थे. तिस पर भी वे आकर मुझसे पूछते कि मैं क्या कर रहा हूँ और मैं उनका नाम अंधों की सूची में डाल देता. सब आँखें होते हुए भी अंधे थे हुज़ूर. गुस्ताखी माफ़ हुज़ूर, ये सवाल आपने भी किया था, इसलिए आपका नाम भी इस सूची में है.”

अब अकबर क्या कहते ??? वे निरुत्तर हो गए....

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